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रक्त द्वारा एच आई वी पाने का कितना डर है?

अभी भारत में २ % एच आई वी के नए संक्रमण, रक्तदान के कारन होता है | इसका मतलब ही कि अभी भारत में रक्तदान

अभी भारत में २ % एच आई वी के नए संक्रमण, रक्तदान के कारन होता है | इसका मतलब ही कि अभी भारत में रक्तदान में पूर्णरूप से एच आई वी के लिए जांच नहीं होता है, और बहुत कुछ करना बाँकी है|

रक्तदान से एच आई वी प्राप्त होने का डर हमेशा लगा रहेगा | अकसर हम रक्तदान इमर्जेंसी में ही लेते हैं | दूसरे तरफ़ कुछ बीमारियों में, जैसे कि थालास्सेमिया (Thalassemia) , गुर्दे के बीमारी (renal failure), कैंसर (cancer), अत्यधिक अनेमिया (severe anemia) और अन्य बीमारी में बार बार खून लेना पड़ता है | सभी स्थिती में हम अपने डॉक्टर के ऊपर भरोसा करते हैं, की वो जो कुछ कर रहे हैं, वो सही ही होगा |

किंतु ऐसा नहीं है, और खास करके प्राइवेट क्लिनिक और हॉस्पिटल में जहाँ कभी कभी गरीब लोग खून बेच कर जाते है | इसमें से कितने लोगों का रक्त जांच होता होगा, वो भगवान् ही मालिक है | अभी ऐसा कोई क़ानून नहीं है जो एच आई वी पोसितिव लोग जान बूझ कर, पैसा के लिए, रक्तदान करते हैं, उनको रोका जा सके | इस लिए हमें इस बात से हमेशा अवगत रहना चाहिए |

जब भी आपके किसी व्यक्ति को रक्तदान मिल रहा है, तो एक बार रक्त के थेली को रक्त प्राप्त करने से पहले जरूर देखना चाहिए की वो एच आई वी नेगेटिव और हेपेटाइटिस बी नेगेटिव है | अगर परोक्ष में किसी को रक्त प्राप्त होता है, फिर भी आप डॉक्टर और नर्सेस से पूछ सकते हैं |

साथ ही अपने शहर और मोहल्ले के निकटतम रक्त केन्द्र के एच आई वी नेगेटिव रक्त उपलब्ध होने का मान्यता मांग सकते हैं | अगर उनके पास नहीं है, तो आप (National Aids Control Organisation, Delhi, http://www.nacoonline.org/NACO/) में उस ब्लड बैंक के बारे में शिकायत कर सकते हैं | कम कम से उस ब्लड बैंक का लाइसेंस रद्द हो जायेगा |

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